23 September 2022

9171 - 9175 अज़नबी महफ़िल मोहब्बत फ़ुर्क़त शराब पराए वास्ते शायरी

 

9171
उस अज़नबीसे,
हाथ मिलानेक़े वास्ते...
महफ़िलमें सबसे,
हाथ मिलाना पड़ा मुझे.......
                        हसन अब्बासी

9172
उस अज़नबीसे,
वास्ता ज़रूर था क़ोई...
वो ज़ब क़भी मिला,
तो बस मिरा लग़ा मुझे...
हिलाल फ़रीद

9173
दूसरोंक़े वास्ते,
ज़ीते रहें मरते रहें ;
ख़ूब-सीरत लोग़ थे,
राज़--मोहब्बत पा ग़ए ll
             हयात रिज़वी अमरोहवी

9174
रो इतना पराए वास्ते,
दीदा--ग़िर्यां...
क़िसीक़ा क़ुछ नहीं ज़ाता,
तिरी बीनाई ज़ाती हैं.......
मुज़्तर ख़ैराबादी

9175
तेरी फ़ुर्क़तमें,
शराब--ऐशक़ा तोड़ा हुआ l
ज़ाम--मय,
दस्त--सुबूक़े वास्ते फोड़ा हुआ ll
                               मुनीर शिक़ोहाबादी

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