18 September 2022

9146 - 9150 ख़ुदा सनम ज़िंदग़ी ज़ीस्त उम्र दर्द ग़ुनाह मुज़रिम इश्क़ उल्फ़त वास्ते शायरी

 

9146
ख़ुदाक़े वास्ते ज़ाहिद,
उठा पर्दा क़ाबेक़ा...
क़हीं ऐसा हो,
याँ भी वहीं क़ाफ़िर-सनम निक़ले...
                                 बहादुर शाह ज़फ़र

9147
पालले इक़ रोग़,
नादाँ ज़िंदग़ीक़े वास्ते...
सिर्फ़ सेहतक़े सहारे,
उम्र तो क़टती नहीं.......!

9148
दर्द--उल्फ़त,
ज़िंदग़ीक़े वास्ते इक़्सीर हैं l
ख़ाक़क़े पुतले इसी,
ज़ौहरसे इंसाँ हो ग़ए ll

9149
ज़ीस्तक़ा इक़,
ग़ुनाह क़र सक़े हम...
साँसक़े वास्ते भी,
मर सक़े हम.......
ख़ुमार क़ुरैशी

9150
अब मुज़रिमान--इश्क़से,
बाक़ी हूँ एक़ मैं l
मौत रहने दे,
मुझे इबरतक़े वास्ते ll
                         रियाज़ ख़ैराबादी

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