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नहीं हैं ज़िंदगी तुझसे,
क़ोई भी वास्ता, लेक़िन...
तलाशेगी तो मिल ज़ाऊँग़ा,
तेरी हर क़हानीमें.......
एहतिमाम सादिक़
9097माना क़ि तेरा मुझसे,क़ोई वास्ता नहीं...मिलनेक़े बाद मुझसे...ज़रा आईना भी देख़.......मुर्तज़ा बरलास
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क़िसीक़े वास्ते,
राहें क़हाँ बदलती हैं l
तुम अपने आपक़ो ख़ुद ही,
बदल सक़ो तो चलो ll
निदा फ़ाज़ली
9099अपने दिएक़ो,चाँद बतानेक़े वास्ते...बस्तीक़ा हर चराग़,बुझाना पड़ा हमें.......जलील आली
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मैं तिरे वास्ते आईना था,
अपनी सूरतक़ो
तरस अब क़्या हैं.......?
ग़ुलाम मुर्तज़ा राही
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