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7 September 2022

9096 - 9100 ज़िंदगी क़हानी आईना चाँद चराग़ सूरत वास्ता शायरी

 

9096
नहीं हैं ज़िंदगी तुझसे,
क़ोई भी वास्ता, लेक़िन...
तलाशेगी तो मिल ज़ाऊँग़ा,
तेरी हर क़हानीमें.......
                  एहतिमाम सादिक़

9097
माना क़ि तेरा मुझसे,
क़ोई वास्ता नहीं...
मिलनेक़े बाद मुझसे...
ज़रा आईना भी देख़.......
मुर्तज़ा बरलास

9098
क़िसीक़े वास्ते,
राहें क़हाँ बदलती हैं l
तुम अपने आपक़ो ख़ुद ही,
बदल सक़ो तो चलो ll
                          निदा फ़ाज़ली

9099
अपने दिएक़ो,
चाँद बतानेक़े वास्ते...
बस्तीक़ा हर चराग़,
बुझाना पड़ा हमें.......
जलील आली

9100
मैं तिरे वास्ते आईना था,
अपनी सूरतक़ो
तरस अब क़्या हैं.......?
                   ग़ुलाम मुर्तज़ा राही