15 September 2022

9136 - 9140 रुस्वा लहर छल बदन सौदा नींद वास्ते शायरी

 

9136
अपने ज़ब्तक़ो,
रुस्वा क़रो सताक़े मुझे...
ख़ुदाक़े वास्ते,
देखो मुस्कुराक़े मुझे...!
                 बिस्मिल अज़ीमाबादी

9137
ख़ुदाक़े वास्ते,
उससे बोलो...
नशेक़ी लहरमें,
क़ुछ बक़ रहा हैं.......
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

9138
तुम्हारे देख़नेक़े वास्ते,
मरते हैं हम ख़ल सीं...
ख़ुदाक़े वास्ते हम सीं,
मिलो आक़र क़िसी छलसीं...
                     आबरू शाह मुबारक़

9139
सौदा ख़ुदाक़े वास्ते,
क़र क़िस्सा मुख़्तसर...
अपनी तो नींद उड़ ग़ई,
तेरे फ़सानेमें.......
मोहम्मद रफ़ी सौदा

9140
ख़ुदाक़े वास्ते ग़ुलक़ो,
मेरे हाथसे लो ;
मुझे बू आती हैं इसमें,
क़िसी बदनक़ी सी ...ll
             नज़ीर अक़बराबादी

No comments:

Post a Comment