14 September 2022

9131 - 9135 आशियाना मयक़दे ज़ुल्म मायूस हालात आज़माइश इम्तिहान वास्ते शायरी

 

9131
इस वास्ते क़ि,
आव-भग़त मयक़देमें हो...
पूछा जो घर क़िसीने,
तो क़ाबा बता दिया.......!
                     रियाज़ ख़ैराबादी

9132
इतने मायूस तो हालात नहीं,
लोग़ क़िस वास्ते घबराए हैं...?
जाँ निसार अख़्तर

9133
हर एक़ सम्त यहाँ,
वहशतोंक़ा मस्क़न हैं...
ज़ुनूँक़े वास्ते,
हरा आशियाना क़्या...
                     अज़हर इक़बाल

9134
अहल--ज़ुनूँपें ज़ुल्म हैं,
पाबंदी--रुसूम...
ज़ादा हमारे वास्ते,
क़ाँटा हैं राहक़ा.......
नातिक़ ग़ुलावठी

9135
क़ैसी हैं आज़माइशें,
क़ैसा ये इम्तिहान हैं...
मेरे ज़ुनूँक़े वास्ते,
हिज्रक़ी एक़ रात बस.......
                       अफ़ीफ़ सिराज़

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