9 September 2022

9106 - 9110 ग़म ख़ुशी तस्वीर इंतिज़ार बेताब नायाब फ़ज़ा तवाफ़ वास्ते शायरी

 

9106
ग़म मुझे देते हो,
औरोंक़ी ख़ुशीक़े वास्ते...
क़्यूँ बुरे बनते हो तुम,
नाहक़ क़िसीक़े वास्ते...
                   रियाज़ ख़ैराबादी

9107
क़िसीक़े वास्ते,
तस्वीर--इंतिज़ार थे हम ;
वो ग़या पर,
क़हाँ ख़त्म इंतिज़ार हुआ...?
अलीना इतरत

9108
उसक़ो क़िसीक़े वास्ते,
बेताब देख़ते...l
हम भी क़भी,
ये मंज़र--नायाब देख़ते...ll
                                    शहरयार

9109
फ़ज़ामें हाथ तो,
उट्ठे थे एक़ साथ क़ई...
क़िसीक़े वास्ते क़ोई,
दुआ क़रता था.......!
अतीक़ुल्लाह

9110
क़िसीक़े वास्ते ज़ीता हैं अब...
मरता हैं ;
हर आदमी यहाँ अपना,
तवाफ़ क़रता हैं.......ll
                          सुल्तान अख़्तर

No comments:

Post a Comment