2406
निहत्था खड़ा हैं,
इश्क़के मैदानमें ये दिल,
जब जीमें आये,
आँखोंसे क़त्ल कर देना...
2407
दिलकी उम्मीदोंका
हौंसला तो देखो ,
इंतजार उनका जिन्हें,
अहसास तक नहीं .....!
2408
मुझसे मोहब्बतमें
सलाह मांगते हैं लोग...
तेरा इश्क़ मुझे
ये तजुर्बा दे गया.......
2409
जुबां कह न पायी मगर,
आँखे बोलती ही रही,
कि मुझे साँसोसे पहले,
तेरी जरूरत हैं.......
2410
उनके होंठोको देखा,
तब एक बात उठी ज़हनमें ...
वो लफ्ज़ कितने नशीले होंगे ,
जो इनसे हो कर गुज़रते हैं ।।