27 February 2018

2406 - 2410 इश्क़ दिल मोहब्बत आँख क़त्ल उम्मीद हौंसला इंतजार अहसास सलाह तजुर्बा जुबां साँस जरूरत शायरी


2406
निहत्था खड़ा हैं,
इश्क़के मैदानमें ये दिल,
जब जीमें आये,
आँखोंसे क़त्ल कर देना...

2407
दिलकी उम्मीदोंका
हौंसला तो देखो ,
इंतजार उनका जिन्हें,
अहसास तक नहीं .....!

2408
मुझसे मोहब्बतमें
सलाह मांगते हैं लोग...
तेरा इश्क़ मुझे
ये तजुर्बा दे गया.......

2409
जुबां कह न पायी मगर,
आँखे बोलती ही रही,
कि मुझे साँसोसे पहले,
तेरी जरूरत हैं.......

2410
उनके होंठोको देखा,
तब एक बात उठी ज़हनमें ...
वो लफ्ज़ कितने नशीले होंगे ,
जो इनसे हो कर गुज़रते हैं ।।

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