14 February 2018

2356 - 2360 होंठ अहसास प्यास इश्क हार जीत दिल दुश्मन मीत बात नाम गलती मरहम दर्द शायरी


2356
उसके होंठोंको चूमा,
तो अहसास ये हुआ...
एक पानी ही ज़रूरी नहीं,
प्यास बुझानेके लिए.......!

2357
इश्क हार भी हैं,
इश्क जीत भी हैं,
दिलका दुश्मन भी हैं,
दिलका मीत भी हैं...

2358
एक बस तुमसे बात हो जाए,
तो रातको दिल कहता हैं...
“आज दिन अच्छा था”...!

2359
मिटाना चाहू तो भी,
नहीं मिटा सकते उसका नाम अपने दिलसे।
क्योकि मिटाये वो जाते हैं,
जो गलतीसे लिखे जाते हैं...।।

2360
उन जख्मोंका क्या करेगा कोई.......!
जिनको मरहमसे भी दर्द होता हैं.......!

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