22 February 2018

2381 - 2385 दिल महोब्बत ख्वाहिश ज़िन्दगी वफ़ा अजीज बेज़ान लाजवाब फरमाइश खौफ दर्द दौलत चीज़ पल शायरी


2381
तेरी वफ़ाके तकाजे,
बदल गये वरना,
मुझे तो आज भी,
तुझसे अजीज कोई नहीं।

2382
हम तो बेज़ान चीज़ोंसे भी,
वफ़ा करते हैं l
तुझमे तो फिर भी,
मेरी ज़ान बसी हैं...

2383
लाजवाब फरमाइश हैं,
मेरे दिलकी...
फिरसे महोब्बत करनी हैं,
और तुमसे ही करनी हैं.......

 2384
कोईभी लुटेरा न हैं,
मेरे आस - पास;
बेखौफ लिए फिरता हूँ'
मैं दर्दकी दौलत...

2385
वो एक पल ही सही,
जिसमें तुम मिल जाओ मुझे,
और उस एक पलसे ज़्यादा ज़िन्दगीकी,
ख्वाहिश भी नहीं मुझे.......!

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