6 February 2018

2316 - 2320 दिल प्यार मतलब कत्ल लकीर बात इंतज़ार हिस्से अधुरा सपना सच्चा ख़ामोशी अलफ़ाज़ हिसाब शायरी


2316
“कुछ मतलबके लिए ढूँढते हैं मुझको,
बिन मतलब जो आए तो क्या बात हैं,
कत्ल करके तो सब ले जाएँगे दिल मेरा,
कोई बातोंसे ले जाए तो क्या बात हैं...!

2317
क्या बटवारा था हाथकी लकीरोंका भी...
उसके हिस्सेमें प्यार,
और
मेरे हिस्सेमें इंतज़ार.......

2318
हर सपना खुशीका पूरा नहीं होता,
कोई किसीके बिना अधुरा नहीं होता,
जो रोशन करता हैं सब रातोंको,
वो चाँद भी तो हर बार पूरा नहीं होता...

2319
"तू किसी धुंदले अँधेरे रास्तेपर,
जला दे एक चिराग...
तेरी शोहरतका उजाला,
दूर तलक हो जाएगा".....

2320
सच्चाई बस मेरी ख़ामोशीमें हैं,
अलफ़ाज़ तो मैं,
लोगोंके हिसाबसे बदल लेता हूँ...

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