9 February 2018

2326 - 2330 दिल प्यार मोहब्बत दुनियाँ जख्म शिद्दत मजाक पल अकेला उम्मीद दर्द नजर हमदर्दी खुशबू पत्थर खत राख शायरी


2326
जानेको तो दुर हम भी जा सकते हैं,
एक पलमें तुमसे,
पर तुम्हारा साथ इसलिए नहीं छोडते,
क्युकी तुम्हे अकेला देखकर,
मुझे भी अपना दर्द नजर आया था...

2327
उम्मीद न कर इस दुनियाँमें,
किसीसे हमदर्दी की।
बड़े प्यारसे जख्म देते हैं,
शिद्दतसे चाहने वाले।

2328
राखसे भी आएगी,
खुशबू मोहब्बतकी;
मेरे खत आप सरेआम,
जलाया ना करो...

2329
"वाकई पत्थरदिल ही होते हैं शायर !
"वर्ना अपनी "आह" पर...
"वाह" सुनना कोई मजाक नहीं . . . !

2330
टूटता हुआ तारा,
सबकी दुआ पूरी करता हैं...
क्योंके उसे टूटनेका दर्द...,
मालूम होता हैं !!!

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