4 February 2018

2306 - 2310 मोहब्बत जिन्दगी भरोसेपें मुश्किल शक याद गम दर्द मज़ा उम्र फर्क लहजे शायरी


2306
लोगोंके पास बहुत कुछ हैं,
मगर, मुश्किल यहीं हैं कि...
भरोसेपें शक हैं, और
अपने शकपें भरोसा हैं.......!

2307
सुना हैं कि तुम रातोंको,
देर तक जागते हो,
यादोंके मारे हो या,
मोहब्बतमें हारे हो...।

2308
जिन्दगीमें गम हैं,
गममें दर्द हैं,
दर्दमें मज़ा हैं....
और
मजेमें हम हैं.......!

2309
"क्या लिखूँ ,
अपनी जिंदगीके बारेमें, दोस्तों...
वो लोग ही बिछड़ गए,
'जो जिंदगी हुआ करते थे . . . !

2310
"उम्रमें ओहदेमें कौन कितना बड़ा हैं,
फर्क नहीं पड़ता...
लहजेमें कौन कितना झुकता हैं,
फर्क ये पड़ता हैं.......!!!"

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