10 February 2018

2336 - 2340 दिल जिन्दगी फासले नज़दीकियाँ हक़ीक़त मुनासिब मुक्कमल एहसास करीब आदत शायरी


2336
कुछ फासले ऐसे भी होते हैं जनाब...
जो तय तो नहीं होते,
मगर...
नज़दीकियाँ कमालकी रखते हैं...!

2337
पलकोंका भीगना,
यूँ ही नहीं होता,
बहुत गहरेसे दिलमें,
कोई समाया होता हैं...

2338
ना जाने क्यों रेतकी तरह,
निकल जाते हैं हाथोंसे वो लोग...
जिन्हें जिन्दगी समझकर हम,
कभी खोना नहीं चाहते.......!

2339
ख्वाबोंको जीने दो,
बिना सरहदोंके ही,
जो हक़ीक़तमें ना मुनासिब हो,
वो ख़्वाबमें तो मुक्कमल हैं....!

2340
क्यूँ दिलके करीब आ जाता हैं कोई,
क्यूँ दिलके एहसासको छू जाता हैं कोई,
जब आदतसी हो जाती हैं दिलको उसकी,
क्यूँ इतनी दूर चला जाता  कोई...

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