16 February 2018

2366 - 2370 दिल मोहब्बत जिन्दगी ऐतबार लफ़्ज़ हसरत खफा सलवट परवाह ख्वाब मुकद्दर हकीकत शायरी


2366
"जो रहते हैं दिलमें वो जुदा नहीं होते;
कुछ एहसास लफ़्ज़ोंसे बयाँ नहीं होते;
एक हसरत हैं कि उनको मनाये कभी;
एक वो हैं कि कभी खफा नहीं होते।

2367
बहुत दिन हो गए
'मुहब्बत' लफ्ज़ सुनकर,
कल 'बेवफ़ा' सुना तो
तुम याद आ गए.......

2368
तुम्हे किसीकी मोहब्बतका ऐतबार नहीं,
तुम्हे ज़मानेने शायद बहुत सताया हैं.....

2369
तू चेहरेकी बढ़ती
सलवटोंकी परवाह ना कर...
हम लिखेंगे अपनी शायरीमें,
हमेशा जवाँ तुझको...

2370
हर ख्वाबके मुकद्दरमें,
हकीकत नहीं होती...
कुछ ख्वाब जिन्दगीमें...
महज ख्वाब ही रह जाते हैं...!

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