18 February 2018

2371 - 2375 दिल महोब्बत सुरभि गुलाब ख्वाब उम्मीद जिस्म जख्म चोट मुश्किल कलीफ महसूस शायरी


2371
सुरभि खो जाती हैं...
जैसे सूखे गुलाबोंसे...
कुछ यूँ ही विलीन हुये...
हम तेरे ख्वाबोंसे.......

2372
मुझसे नफरत ही करनी हैं,
तो इरादे मजबूत रखना;
जरासा भी चूके,
तो महोब्बत हो जायेगी !

2373
मत रख हमसे वफाकी उम्मीद,
हमने हर दम बेवफाई पायी हैं,
मत ढूंढ हमारे जिस्मपें जख्मके निशान,
हमने हर चोट दिलपें खायी हैं...

2374
शिकायते बयाँ करना,
इसलिए मुश्किल होता हैं की...
जिसे हम सुनना चाहते हैं वो हमे
सुनकर भी बेखबर बना रहता हैं....!

2375
क्यू नहीं महसूस होती,
उसे मेरी तकलीफ...
जो कहती थी.......
"बहोत अच्छेसे जनता हूँ तुझे" ।।

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