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21 June 2020

6056 - 6060 उजाला बिजली आशियाँ नशेमन चमन अन्दाज बहार गुलिस्ताँ शायरी


6056
उजाला तो हुआ कुछ देरको,
सहने-गुलिस्ताँमें...
बलासे फूँक डाला बिजलियोंने,
आशियाँ मेरा...
                                 मिर्जा गालिब

6057
चाँदपर अब कुछ नहीं पाओगे,
गढ्ढोंके सिवा...
छोड आया हूँ मै कबका,
वो पुराना आशियाँ.......

6058
सब बाँध चुके कबके,
सरे-शाख नशेमन...
हम हैं कि गुलिस्ताँकी,
हवा देख रहे हैं.......
               जलील मनिकपुरी

6059
बिजली गिरेगी,
सेहन-ए-चमनमें कहाँ कहाँ...
किस शाख़-ए-गुलिस्ताँपें,
मिरा आशियाँ नहीं.......
सलाम संदेलवी

6060
इधर सैयाद फिरते थे,
उधर सैयाद फिरते थे,
कुछ अंदाजसे मेरे,
गुलिस्ताँमें बहार आई...!
                     जगन्नाथ आजाद