9031
राह-ए-मज़मून-ए-ताज़ा बंद नहीं,
ता क़यामत ख़ुला हैं बाब-ए-सुख़न ll
वली मोहम्मद वली
9032देरतक़ मिलक़े,रोते रहे राहमें...उनसे बढ़ता हुआ,फ़ासला और मैं.......ताबिश मेहदी
9033
अभीसे शिक़वा-ए-पस्त-ओ-बुलंद हम-सफ़रो,
अभी तो राह बहुत साफ़ हैं अभी क़्या हैं ll
रईस अमरोहवी
9034आ ही ज़ाता,वो राहपर ग़ालिब...क़ोई दिन और भी,ज़िए होते.......मिर्ज़ा ग़ालिब
9035
ग़ो उन्हें राह-ए-इंहिराफ़ नहीं,
फ़िर भी उम्मीद-ए-ए'तिराफ़ नहीं...
ज़ियाउद्दीन अहमद शक़ेब