5676
कभी है ढेरों
खुशियाँ तो,
कभी गम बेहिसाब
हैं...
इम्तिहानोंसे
भरी जिन्दगी,
इसी लिए लाजवाब
हैं.......
5677
बेहिसाब
हसरतें न पालिए l
जो मिला हैं
उसे सम्भालिए ll
5678
एक ग़ज़ल तुम्हारे लिए,
जरूर लिखेंगे...
बेहिसाब
उसमें,
तुम्हारा
कसूर लिखेंगे...
5679
सितारे बनके मेरी,
ख़ाक़के ज़र्रे चमक़ते हैं l
ज़मीं उनकी गलीकी,
आसमां मालूम होती हैं ll
5680
हम आपकी मोहब्बतका,
क्या खिताब दे,
करते हैं इतना
प्यार की,
क्या हिसाब दे.......!