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3 April 2020

5676 - 5680 खुशियाँ गम इम्तिहान लाजवाब ग़ज़ल सितारे चमक़ ज़मीं आसमां मोहब्बत प्यार बेहिसाब शायरी


5676
कभी है ढेरों खुशियाँ तो,
कभी गम बेहिसाब हैं...
इम्तिहानोंसे भरी जिन्दगी,
इसी लिए लाजवाब हैं.......

5677
बेहिसाब हसरतें पालिए l
जो मिला हैं उसे सम्भालिए ll

5678
एक ग़ज़ल तुम्हारे लिए,
जरूर लिखेंगे...
बेहिसाब उसमें,
तुम्हारा कसूर लिखेंगे...

5679
सितारे बनके मेरी,
ख़ाक़के ज़र्रे चमक़ते हैं l
ज़मीं उनकी गलीकी,
आसमां मालूम होती हैं ll

5680
हम आपकी मोहब्बतका,
क्या खिताब दे,
करते हैं इतना प्यार की,
क्या हिसाब दे.......!