4931
थोड़ी खुशियाँ,
चखा दे ए
जिंदगी...
हमने कौनसा
यहाँ,
रोजा रखा हैं.......!
4932
वैसे तो ऐ
जिंदगी,
तुझमें फरेब है, उदासी है, रूसवाई
है;
पर हमने भी
हर बार,
मुस्कुराकर तेरी आबरू
बचाई है...!
4933
जिंदगीने मेरे
मर्ज़का,
एक बढीया इलाज़ बताया;
वक्तको दवा
कहा और,
मतलबियोका परहेज बताया...
4934
जिंदगी मुझको,
"सा रे ग
म" सुना कर
गुदगुदाती
रही...
मैं कम्बख़्त उसको,
"सारे गम" समझ
कर
कोसता रहा.......
4935
"शिकवे
मुझे भी
जिंदगीसे है साहब...
पर मौजमें
जीना है !
इसलिए शिकायते नहीं करता...