26 October 2019

4931 - 4935 खुशियाँ फरेब उदासी रूसवाई आबरू मर्ज़ इलाज़ वक्त शिकायते जिंदगी शायरी


4931
थोड़ी खुशियाँ,
चखा दे जिंदगी...
हमने कौनसा यहाँ,
रोजा रखा हैं.......!

4932
वैसे तो जिंदगी,
तुझमें फरेब है, उदासी है, रूसवाई है;
पर हमने भी हर बार,
मुस्कुराकर तेरी आबरू बचाई है...!

4933
जिंदगीने मेरे मर्ज़का,
एक बढीया इलाज़ बताया;
वक्तको दवा कहा और,
मतलबियोका परहेज बताया...

4934
जिंदगी मुझको,
"सा रे म" सुना कर
गुदगुदाती रही...
मैं कम्बख़्त उसको,
"सारे गम" समझ कर
कोसता रहा.......

4935
"शिकवे मुझे भी
जिंदगीसे है साहब...
पर मौजमें जीना है !
इसलिए शिकायते नहीं करता...

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