28 October 2019

4946 - 4950 चराग वादा सजदा इबादत कबूल रिश्ते हौसला इबादत जिंदगी शायरी


4946
कोई सिखा दे हमें भी वादोंसे मुकर जाना,
बहुत थक गये हैं, निभाते निभाते...
जो रोशनीमें खड़े हैं वो जानते ही नहीं,
हवा चले तो चरागोंकी जिंदगी क्या है...!

4947
मेरी इबादतोंको,
ऐसे कर कबूल मेरे खुदा...
के सजदेमें मैं झुकूं तो मुझसे जुड़े,
हर रिश्तेकी जिंदगी संवर जाए...!

4948
हौसला होना चाहिए बस,
जिंदगी तो कहींसे भी शुरू हो सकती है !!!

4949
थोड़ीसी तू अस्त-व्यस्त है,
फिर भी "जिंदगी" तू जबरदस्त है...!!!

4950
जिंदगी... जो शेष है
वो विशेष है.......!

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