4946
कोई सिखा दे
हमें भी वादोंसे मुकर जाना,
बहुत थक गये
हैं, निभाते निभाते...
जो रोशनीमें खड़े
हैं वो जानते
ही नहीं,
हवा चले तो
चरागोंकी जिंदगी
क्या है...!
4947
मेरी इबादतोंको,
ऐसे कर कबूल
ऐ मेरे खुदा...
के सजदेमें
मैं झुकूं तो
मुझसे जुड़े,
हर रिश्तेकी जिंदगी
संवर जाए...!
4948
हौसला होना चाहिए
बस,
जिंदगी तो कहींसे भी शुरू
हो सकती है !!!
4949
थोड़ीसी तू
अस्त-व्यस्त है,
फिर भी "जिंदगी" तू
जबरदस्त है...!!!
4950
जिंदगी... जो शेष
है
वो विशेष है.......!