18 October 2019

4891 - 4895 जहर याद साँसे शौक हकीकतें वक़्त आग चाह ज़िन्दगी शायरी


4891
अजीबसा जहर हैं,
तेरी यादोंमें...
मरते मरते मुझे,
सारी ज़िन्दगी लगेगी...!

4892
जो शख्स किसीपे मरा नहीं...
उसने सिर्फ़ साँसे ली,
ज़िन्दगीको जिया नहीं...!

4893
मीठेका शौक इसलिए भी रखते हैं,
क्योकि...
ज़िन्दगीकी हकीकतें कड़वी बहुत हैं।।

4894
उन्होंने वक़्त समझकर,
गुज़ार दिया हमको...
और हम,
उनको ज़िन्दगी समझकर,
आज भी जी रहे हैं.......

4895
मैने माँगा था थोड़ासा उजाला,
अपनी ज़िन्दगीमें...
चाहने वालोने तो,
आग ही लगा दी...!

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