31 October 2019

4961 - 4965 दिल मोहब्बत बात ग़म डर आदत मौत दर्द शायरी


4961
देखकर दर्द किसीका,
जो आह दिलसे निकल जाती है;
बस इतनीसी बात आदमीको,
इंसान बना जाती है.......!

4962
बता रहा हूँ,
दर्द, ग़म, डर जो भी है...
बस आपके अंदर है;
खुदके बनाए पिंजरेसे निकलके देखो,
आप भी एक सिकंदर हो...

4963
दर्द सहनेकी अब कुछ यूँ,
आदतसी हो गयी है कि...
अब दर्द मिले तो,
दर्दसा होता है.......

4964
उसके दिलपर भी क्या,
खूब गुज़री होगी...
जिसने इस दर्दका नाम,
मोहब्बत रखा होगा.......!

4965
ये दर्दको भी,
मौतसे जोड़ दो साहेब...
जिन्हें मिल गया है,
उन्हें दुबारा ना मिले...

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