24 October 2019

4926 - 4930 मोहब्बत मजाक साँस जखम बाजी ताल्लुकात दांव जिंदगी शायरी


4926
मोहब्बत जिंदगी बदल देती है,
मिल जाये तो भी;
ना मिले तो भी.......

4927
मजाक मजाकमें ही,
शुरु हो गयी थी मोहब्बत...
अब तो जिंदगी,
मजाक बनके रह गयी...

4928
ज़रासी मोहब्बत क्या पी ली...
जिंदगी अबतक
लडखडा रही है.......!

4929
साँस लेता हुँ तो,
जखमोंको हवा लगती है...
जिंदगी अब तू ही बता,
तू मेरी क्या लगती है...


4930
तुम्हारा क्या है,
तुम्हें तो बाजी जितनेसे बस,
ताल्लुकात है...
ये खेल है मेरी जिंदगीका,
के मेरा जो कुछ है,
दांव पर है.......!

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