10 October 2019

4851 - 4855 जिंदगी दुनिया यादें नक़ाब जहाँ खुशी साथ शायरी


4851
तुम कहो या ना कहो,
मगर मुझे मालूम हैं...
शामके साथ ये यादें,
मेरी तरह तुम्हें भी सताती हैं...!

4852
अब हटा दे नक़ाब अपना,
हमें मुरीद हो जाने दे...
आज सारे जहाँके साथ,
मेरी भी ईद हो जाने दे...!

4853
आज परछाईसे पूछ ही लिया,
क्यों चलती हो मेरे साथ...
उसने भी हँसके कहा,
दूसरा कौन हैं तेरे साथ...?

4854
तुम साथ,
बैठे रहो मेरे, बस...
बाकी दुनियाकी खुशी,
किसे चाहिए.......!

4855
वो दिन जो गुजारे,
तुम्हारे साथ...
काश जिंदगी,
उतनी ही होती...!

No comments:

Post a Comment