4851
तुम कहो या
ना कहो,
मगर
मुझे मालूम हैं...
शामके साथ
ये यादें,
मेरी
तरह तुम्हें भी
सताती हैं...!
4852
अब हटा दे
नक़ाब अपना,
हमें मुरीद हो जाने
दे...
आज सारे जहाँके साथ,
मेरी भी ईद
हो जाने दे...!
4853
आज परछाईसे पूछ ही
लिया,
क्यों चलती हो
मेरे साथ...
उसने भी हँसके
कहा,
दूसरा कौन हैं तेरे साथ...?
4854
तुम साथ,
बैठे रहो मेरे,
बस...
बाकी दुनियाकी खुशी,
किसे चाहिए.......!
4855
वो दिन जो
गुजारे,
तुम्हारे साथ...
काश जिंदगी,
उतनी ही
होती...!
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