4841
क्या ख़ुशमिजाज़ीसे,
नसीब लिखा हैं
मेरा ख़ुदाने...
के मेरी जिंदगी
मेरी दीलरुबा हैं,
और मेरी मौत
भी होगी मेरी
माशूका...!
4842
शर्तें नहीं लगाई
जाती,
जिंदगीके साथ...
कबूल हैं मौत
भी,
सब खामियोंके साथ...!
4843
तुम ये मत
समझना की,
मुझे कोई नहीं
चाहता...
तुम छोड़ भी
दोगे तो,
मौत खड़ी हैं अपनानेके लिए...!
4844
काश तू मेरे
लिये,
मौत होती...
यकीन तो होता,
की तू आयेगी
ज़रूर...!
4845
ए मौत, तू तब
आना,
जब मैं सजदेमें रहूँ...
तुझे आनेमें
मजा आये,
और मुझे जानेमें.......!
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