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8 October 2019

4841 - 4845 जिंदगी समझ सजदे माशूका नसीब शर्तें कबूल यकीन मौत शायरी



4841
क्या ख़ुशमिजाज़ीसे,
नसीब लिखा हैं मेरा ख़ुदाने...
के मेरी जिंदगी मेरी दीलरुबा हैं,
और मेरी मौत भी होगी मेरी माशूका...!

4842
शर्तें नहीं लगाई जाती,
जिंदगीके साथ...
कबूल हैं मौत भी,
सब खामियोंके साथ...!

4843
तुम ये मत समझना की,
मुझे कोई नहीं चाहता...
तुम छोड़ भी दोगे तो,
मौत खड़ी हैं अपनानेके लिए...!

4844
काश तू मेरे लिये,
मौत होती...
यकीन तो होता,
की तू आयेगी ज़रूर...!

4845
मौत, तू तब आना,
जब मैं सजदेमें रहूँ...
तुझे आनेमें मजा आये,
और मुझे जानेमें.......!