4 October 2019

4826 - 4830 जिन्दगी शुक्रिया ख्वाहिश तस्वीर अनजान रंग तकदीर अंजुमन लब शायरी


4826
शुक्रिया कैसे कहेने आपको,
जो बात कही आपने...
सच लगने लगी मनको...!

4827
मन ख्वाहिशोंमें अटका रहा,
और ज़िन्दगी हमे जी कर चली गयी...!

4828
तुमसे बातें करनेका मन हैं,
लेकिन करनेको कोई भी बात नहीं हैं...!

4829
जिन्दगी तस्वीर भी हैं और तक़दीर भी
फर्क तो सिर्फ रंगोंका होता हैं,
मनचाहे रंगोंसे बने तो तस्वीर,
और अनजाने रंगोंसे बने तो तकदीर...!

4830
हर शख्श खफा मुझसे,
अंजुमनमें था...
क्योंकि मेरे लबपर वही था,
जो मेरे मनमें था...!

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