18 October 2019

4896 - 4900 कसौटी रिश्ता ग़ज़ल शौक़ मुनाफ़ा अमीर काँटे कगार मज़ार ज़िन्दगी शायरी


4896
ज़िंदगीकी कसौटीसे,
हर रिश्ता गुज़र गया;
कुछ निकले खरे सोनेसे,
कुछका पानी उतर गया...

4897
शायरानासी है, ज़िन्दगीकी फ़ज़ा,
आप भी ज़िन्दगीका मजा लीजिये;
मैं ग़ज़ल बन गयी आपके सामने,
शौक़से अब मुझे गुनगुना लीजिये...

4898
बिन मेरे रह ही जायेगी,
कोई कोई कमी;
तुम ज़िन्दगीको,
जितनी मर्जी सवाँर लो...

4899
कुछ रिश्ते​,
मुनाफ़ा नहीं देते...
मगर​,
ज़िन्दगीको,
अमीर बना देते हैं...!
4900
ज़िन्दगी सारी गुज़र गई,
काँटोकी कगारपर फराज...
और फूलोंने मचाई हैं,
भीड हमारी मज़ारपर.......!

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