30 October 2019

4951 - 4955 साँसें मुश्किल फ़ैसला मुश्किल वक्त जीना शायरी


4951
साँसें तो पहले भी,
चल रही थी फराज...    
पर तेरे आनेसे,
जीना शुरू किया हमने...!

4952
कितना मुश्किल हैं जीना...
जिनके लिये जीना...
उनके बिना जीना.......

4953
चल हो गया फ़ैसला,
कुछ कहना ही नहीं...
तू जी ले मेरे बग़ैर,
मुझे जीना ही नहीं.......

4954
बहोत मुश्किलोके बाद,
पत्थरका बना हूँ...
मैं जीना चाहता हूँ,
मुझे मोम करो...!

4955
वक्त कहता है,
मैं फिर आऊंगा;
मुझे खुद नहीं पता,
तुझे हसाऊंगा या रुलाऊंगा,
जीना है तो इस पलको जी ले...
क्योंकि,
मै किसी भी हालमें इस पलको,
अगले पल तक रोक पाऊंगा.......

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