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17 December 2019

5191 - 5195 इज़ाज़त लिफाफे दवाई याद चोट फुर्सत याद रिश्ते बाते घड़ी कारीगर वक़्त शायरी


5191
इज़ाज़त हो तो लिफाफेमें रखकर,
कुछ वक़्त भेज दूं...
सुना हैं कुछ लोगोंको फुर्सत नहीं हैं,
अपनोंको याद करने की.......!

5192
दवाईयाँ वक़्तपर,
मिलती नही;
और रिश्ते वक़्त-वक़्त पर,
चोट देते रहते हैं.......

5193
कभी मिल जाए कहीं वो कारीगर,
तो मिलाना ज़रूर...
जिसने घड़ी बनायी उसे,
वक़्त रोकना भी आता होगा.......

5194
कुछ रिश्तें...
सिर्फ़ एक ही चीज़ माँगते हैं,
और वो हैं "वक़्त"...!!!

5195
किसीने क्या खूब लिखा हैं...
वक़्त निकालकर,
बाते कर लिया करो अपनोंसे;
अगर अपने ही रहेंगे,
तो वक़्तका क्या करोगे.......?