1816
अपने हौसलों क़ो ये,
ख़बर क़रते रहो,
जिन्दगी मंज़िल नहीं,
सफ़र हैं, क़रते रहो...
1817
फ़र्क़ चेहरेक़ी हँसीपर,
सिर्फ इतनासा पाते हैं
पहले आती थी…
अब लाते हैं...
1818
मोहब्बत तो वो बारिश हैं,
जिसे छूनेकी चाहतमें;
हथेलियाँ तो गीली हो जाती हैं,
पर हाथ खालीही रह जाते हैं.......
1819
हमें अक्सर उनकी जरुरत होती हैं,
जिनके लिए हम जरुरी नहीं होते...
1820
कारवाँ-ए-ज़िन्दगी...
हसरतोंके सिवा,
कुछभी नहीं...
ये किया नहीं,
वो हुआ नहीं,
ये मिला नहीं,
वो रहा नहीं...