1816
मुस्कुरानेके मकसद न ढूँढ,
वर्ना जिन्दगी यूँ ही कट जाएगी,
कभी बेवजह भी मुस्कुराके देख,
तेरे साथ साथ जिन्दगीभी मुस्कुरायेगी !
1817
खामोश चेहरेपर हज़ारों पहरे होते हैं,
हँसती आँखोंमें भी ज़ख़्म गहरे होते हैं,
जिनसे अक्सर रूठ जाते हैं हम,
असलमें उनसे ही रिश्ते गहरे होते हैं...
1818
मोहब्बत तो वो बारिश हैं,
जिसे छूनेकी चाहतमें;
हथेलियाँ तो गीली हो जाती हैं,
पर हाथ खालीही रह जाते हैं.......
1819
हमें अक्सर उनकी जरुरत होती हैं,
जिनके लिए हम जरुरी नहीं होते...
1820
कारवाँ-ए-ज़िन्दगी...
हसरतोंके सिवा,
कुछभी नहीं...
ये किया नहीं,
वो हुआ नहीं,
ये मिला नहीं,
वो रहा नहीं...
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