2 October 2017

1796 - 1800 ज़िंदगी बंधन विश्वास आँसू जज़्बात किस्मत इतेफ़ाक़ रिश्ते ख्वाब वादा शायरी


1796
सिर्फ़ बंधनको विश्वास नहीं कहते,
हर आँसूको जज़्बात नहीं कहते,
किस्मतसे मिलते हैं रिश्ते ज़िंदगीमें,
इसलिए रिश्तोंको कभी इतेफ़ाक़ नहीं कहते l

1797
वो जाते हुए बोले हमसे,
क़े अब हम सिर्फ ख्वाबोमें ही मिलने आयेंगे ....
हमने कहां तुम वादा निभाना अपना,
हम भी हमेशाक़े लिए सो जायेंगे...

1798
मुझपे हँसनेकी
ज़मानेको सज़ा दी जाए,
मैं बहुत खुश हूँ
ये अफ़वाह उड़ा दी जाए !!!

1799
होता अगर मुमकिन,
तुझे साँस बनाकर रखते सीनेमें,
तू रुक जाये तो मैं नहीं,
मैं मर जाऊँ तो तू नहीं...

1800
बिकनेवाले और भी हैं,
जाओ जाकर खरीद लो,
हम किंमतसे नहीं,
किस्मतसे मिला करते हैं !

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