29 October 2017

1886 - 1890 जिंदगी मोहब्बत पागल किस्मत समझ भरोसा नजर गलति चेहरे चाँद शायरी


1886
तुझे किस्मत समझकर,
सीनेसे लगाया था,
भूल गए थे.......
किस्मत बदलते देर नहीं लगती...

1887
समझदार ही करते हैं,
अक्सर गलतियाँ,
कभी देखा हैं…
किसी पागलको मोहब्बत करते.......

1888
ये सच हैं की,
वो मेरी जिंदगी हैं,
सच ये भी हैं की,
जिंदगीका कोई भरोसा नहीं. . .

1889
तुमसे अच्छा तो हम...
चाँदसे ही मोहब्बत कर लेते;
लाख दूर सही,
पर नजर तो आता हैं.......

1890
मेरे चेहरेपें कफ़न ना डालो,
मुझे आदत हैं मुस्कुरानेकी,
मेरी लाशको ना दफ़नाओ,
मुझे उम्मीद हैं उसके आनेकी…

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