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14 November 2016

740 जरूरी चाहत शायरी


740

Dahaleej, On the Verge

जरूरी नहीं की हर बातपर,
तुम मेरा कहा मानों,
पर रख दी हैं चाहत,
आगे तुम जानो . . . !
Its not Necessary that for Every thing
You Agree with me,
Have kept my Wanting on the Verge,
Henceforth you Think . . . !

739 जरूरी चाहत शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


739

Ummeed, Hope

उन लोगोंकी उम्मीदोंको,
कभी टूटने ना देना...
जिनकी आखरी उम्मीद,
सिर्फ आपही हैं. . . !
Do not Break Hope,
Of Those people ...
Whose last Hope,
Are only You . . .!