2106
सबको फिक्र हैं,
खुदको सही साबित करनेकी,
जैसे ये जिंदगी, जिंदगी नहीं...
कोई इल्जाम हैं....... !!!
2107
ज़रा क़रीब आओ,
तो शायद हमे समझ पाओ...
यह दूरियाँ तो सिर्फ,
गलतफेहमियाँ बढाती हैं.......
2108
जब बेवजह कोई इल्ज़ाम लग जाये,
तो क्या कीजिए ?
हुज़ूर फिर यूँ कीजिए कि,
वो गुनाह कर लीजिये ।।
2109
"रुतबा" तो...
खामोशियोंका होता हैं...
"अल्फ़ाज़" का क्या ?
वो तो बदल जाते हैं, अक्सर
"हालात" देखकर...!!!
2110
नेकने नेक और बुरेने बुरा,
जाना मुझे,
जिसकी जैसी फितरत थी,
उसने उतना ही पहचाना मुझे l