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11 June 2019

4336 - 4340 जिंदगी याद वक़्त सिललिसा फैसला मोहताज इबादत खयालात खुशी लम्हे शायरी


4336
कुछ लम्हे गुजारे हैं,
मैने भी अपने खास दोस्तो संग;
लोग उन्हें वक़्त कहते हैं ओर,
हम उन्हे जिंदगी कहते हैं...

4337
किसीने क्या खूब लिखा हैं...!
कल हम होंगे गिला होगा।
सिर्फ सिमटी हुई यादोंका सिललिसा होगा।
जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें।
जाने कल जिंदगीका क्या फैसला होगा।

4338
कितने भी समेट लो लम्हे,
हाथोंसे फिसलते ज़रूर हैं...
ये वक़्तके मोहताज हैं साहब,
बदलता ज़रूर हैं.......!

4339
जुबानी इबादत ही काफी नहीं...
खुदा सुन रहा हैं,
लम्हे खयालातके भी...!

4340
कल खुशीके कुछ लम्हे मिले थे,
जल्दीमें थे...
रूके भी हीं.......