4336
कुछ लम्हे गुजारे हैं,
मैने भी अपने
खास दोस्तो संग;
लोग उन्हें वक़्त कहते
हैं ओर,
हम उन्हे जिंदगी कहते
हैं...
4337
किसीने क्या
खूब लिखा हैं...!
कल न हम
होंगे न गिला
होगा।
सिर्फ सिमटी हुई यादोंका सिललिसा होगा।
जो लम्हे हैं चलो
हंसकर बिता लें।
जाने कल जिंदगीका क्या फैसला
होगा।
4338
कितने भी समेट
लो लम्हे,
हाथोंसे फिसलते
ज़रूर हैं...
ये वक़्तके मोहताज हैं साहब,
बदलता ज़रूर हैं.......!
4339
जुबानी इबादत ही काफी
नहीं...
खुदा सुन रहा
हैं,
लम्हे खयालातके भी...!
4340
कल खुशीके
कुछ लम्हे मिले
थे,
जल्दीमें थे...
रूके भी नहीं.......
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