17 June 2019

4371 - 4375 इश्क़ आरजू मोहब्बत दुआ परख इलज़ाम ज़माने कदर शायरी


4371
छोड दी हमने हमेशाके लिए,
उसकी आरजू करना...
जिसे मोहब्बतकी कदर ना हो,
उसे दुआओं मे क्या मांगना...!

4372
जो कदर नहीं करते,
उनके लिये लोग रोते हैं...
और जो हर किसीकी कदर करते हैं,
लोग उन्हें अक्सर रुलाते हैं...!

4373
परखसे परे हैं,
ये शख्सियत मेरी...
मैं उन्हीके लिए हूँ,
जो समझे कदर मेरी...!

4374
मत देखो हमें तुम,
यूँ इस कदर...
इश्क़ तुम कर बैठोगे और,
इलज़ाम हमपे लग जायेगा.......!

4375
इस कदर बट गए हैं,
ज़मानेमें सभी...
अगर खुदा भी आकर कहें,
"मैं भगवान हुँ"
तो लोग पुछ लेंगे,
"किसके ?"

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