4316
मैं खो जाऊँगा,
अपनी दुनियाँमें
इस कदर...
तुम ढ़ूंढोगे बहाने,
मुझसे
बात करनेके...!
4317
ये ग़ज़ल... इश्क़..... मोहब्बत.......
और शायरी
अपनी.......!
ये सब बहाने
हैं,
तुझको याद
करनेके...!!!
4318
यूँ ही गुजर
जाती हैं,
शाम अंजुमनमें;
कुछ तेरी आँखोंके बहाने,
कुछ तेरी बातोके बहाने...!
4319
मुझको ढूँढ लेती हैं,
रोज़ नये
बहानेसे...
तेरी याद वाक़िफ़
हो गई हैं,
मेरे हर ठिकानेसे.......!
4320
रिश्तोके लफ्ज
भी,
बड़े बेईमान
होते हैं...
मरहम देनेके
बहाने आते हैं,
और जख्म देके
चले जाते हैं...
No comments:
Post a Comment