4401
पहाड़ियोंकी तरह ख़ामोश
हैं,
आजके रिश्ते
भी...
जबतक इधरसे आवाज़ न
दो,
उधरसे आवाज़
नहीं आती.......
4402
अब भी आ ज़ाते तो,
रह ज़ाती हमारी ज़िंदग़ी l
बाद मरनेक़े अग़र ख़तक़ा,
ज़वाब आया तो क़्या ll
वहीद इलाहाबादी
4403
यार बेशक एक
हो,
मगर ऐसा हो... जो;
"लब्ज़ो" से ज्यादा
"ख़ामोशी" को समझे।
4404
ज़ाया ना कर
अपने अल्फाज़,
हर
किसीके लिए;
बस ख़ामोश रहकर
देख तुझे,
समझता कौन हैं.......!
4405
विधाताकी अदालतमें,
वक़ालत बडी न्यारी
हैं...।
तू ख़ामोश रहकर कर्म
कर,
तेरा मुकद्दमा ज़ारी हैं.......।।
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