14 June 2019

4356 - 4360 साँस लफ़्ज़ निगाह मुस्कान कत्ल ज़िन्दगी मुद्दतें मुलाक़ात धड़कन नज़र शायरी


4356
सुना हैं तुम्हारी एक निगाहसे,
कत्ल होते हैं लोग...
एक नज़र हमको भी देख लो,
ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती.......


4357
मुद्दतें गुज़रीं,
मुलाक़ात हुई थी तुमसे...
फिर कोई और आया नज़र,
आईनेमें.......!

4358
मैं अन्दरसे समंदर हूँ,
बाहर आसमान...
बस मुझे उतना समझ,
जितना नज़र आता हूँ मैं.......

4359
धड़कन संभालूँ,
साँसोंको काबूमें करूं...
तुझे नज़रभर देखनेमें,
मसले बहुत हैं.......

4360
लफ़्ज़ मैने भी चुराए हैं,
कई जगहसे...
कभी उनकी मुस्कानसे,
कभी नज़रसे.......!

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