19 June 2019

4381 - 4385 दिल ज़िन्दगी ख़ामोशी ज़मीर हौसले कोशिश वक़्त अमीर खौफ उम्मीद शायरी


4381
ख़ामोशी भी अच्छी हैं तेरी,
एक उम्मीद रह जाती हैं...
तेरे "ना" कहनेसे,
तेरा क़ुछ ना कहना ही ठीक हैं...।

4382
ज़मीर ज़िंदा रख,
कबीर ज़िंदा रख,
सुल्तान भी बन जाए तो;
दिलमें फ़क़ीर ज़िंदा रख...!
हौसलेके तरकशमें,
कोशिशका वो तीर ज़िन्दा रख,
हार जा चाहे ज़िन्दगीमें सब कुछ;
मगर फिरसे जीतनेकी उम्मीद ज़िन्दा रख...!

4383
गरीबके पास,
अच्छा वक़्त आनेकी उम्मीद रहती हैं;
लेकिन अमीरके पास सिर्फ,
बुरा वक़्त आनेका खौफ रहता हैं...!

4384
तकलीफ़ खुद ही कम हो गई,
जब अपनोंसे उम्मीद कम हो गई...

4385
हटाओ आईना,
उम्मीदपे हम भी हैं...
तुम्हारे देखने वालोंमें,
हम भी हैं.......!

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