16 June 2019

4366 - 4370 प्यार आज़ाद कैद तस्वीर नफरत बोझ दवा असर नज़र शायरी


4366
से कहो एक बार देखके,
आज़ाद कर दे मुझे।
मैं आज भी की,
पहली नज़रकी कैदमें हूँ ।।

4367
सुनो! बार बार मेरी,
तस्वीर ना देखा करो...
नज़र मोहब्बतकी होगी,
तो नज़र लग जाऐगी...!

4368
अच्छा हैं कुछ लोग हमें,
नफरतसे देखते हैं...
सभी प्यारसे देखेंगे तो,
नज़र लग जायेगी ना...

4369
पांवोंके लड़खड़ानेपे तो,
सबकी हैं नज़र...
सर पर हैं कितना बोझ,
कोई देखता नहीं.......

4370
दवा जब असर ना करे,
तो नज़रें उतारती हैं...
माँ हैं ज़नाब,
ये हार कहाँ मानती हैं...!

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