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7 April 2017

1191 जिन्दगी जरूरत नाम ख्वाहिश फ़कीर बादशाह अधुरी शायरी


1191
जिन्दगी जरूरतोंका नाम हैं,
ख्वाहिशोंका नहीं...
जरूरत फ़कीरोंकी भी पूरी हो जाती हैं ;
ख्वाहिशों बादशाहोंकी भी अधुरी रह जाती हैं...!