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24 June 2022

8786 - 8790 तमन्ना पत्थर आईना मुसाफ़िर राह शायरी

 

8786
हमारी राहसे पत्थर उठाक़र,
फेंक़ मत देना...
लग़ी हैं ठोक़रें तब ज़ाक़े,
चलना सीख़ पाए हैं.......!!!
                       नफ़स अम्बालवी

8787
ये राह--तमन्ना हैं,
यहाँ देख़क़े चलना...
इस राहमें सर मिलते हैं,
पत्थर नहीं मिलता.......
नसीर तुराबी

8788
वो मेरी राहमें,
पत्थरक़ी तरह रहता हैं...
वो मेरी राहसे,
पत्थर हटा भी देता हैं...!!!
                          अंज़ना संधीर

8789
हमसे पहले भी,
मुसाफ़िर क़ई ग़ुज़रे होंग़े...!
क़मसे क़म राहक़े,
पत्थर तो हटाते ज़ाते.......!!!
राहत इंदौरी

8790
क़िसीने राहक़ा पत्थर,
हमींक़ो ठहराया...
ये और बात हैं क़ि,
फ़िर आईना हमीं ठहरे...
                          फ़राग़ रोहवी